यूँ तो ज़िन्दगी तुझसे कोई, गिला नहीं शिकवा नहीं,
फिर भी कुछ हसरतें हैं, जो तुझसे कभी कही नहीं,
ना जाने क्यूँ कुछ मांगने पे, था डर तेरे इंकार का,
जो दे चुकी थी तू अब तक, वापिस ना मांग ले कहीं....
जब छोड़े तू दामन मेरा, बंद आँखों में मेरी झाँक लेना,
कुछ अधूरे सपने हैं मेरे, थोड़ा तू उनको भी ताक लेना,
लिख के रख लेना तू उन्हें, कहीं भूल से भी भूले नहीं,
करना तू पूरे अगले जनम में, कोई भी सपना चूके नहीं....
अब मौत भी आ जाये तो, शायद आंसू तो नहीं आयेंगे,
मुस्कान मेरी देख के, फ़रिश्ता-ए-मौत भी चकरायेंगे,
उन्हें भी क्या मालूम के, अब बन चुके हैं दोस्त हम,
करने पूरे सपने अधूरे, हम अगले जनम फिर आयेंगे....
हम अगले जनम फिर आयेंगे....